आइए आज के इस लेख में हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की नई संसद के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करते हैं। इस नई संसद भवन के निर्माण को लेकर आज हम आप लोगों के लिए कुछ ऐसे तथ्य सामने लेकर आए हैं जिनसे आप सभी अभी तक अपरिचित थे। तो चलिए अब हम आपको इस नई संसद के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों से आपको रूबरू कराते हैं।
93 सालों का इतिहास संजोए संसद भवन की पुरानी इमारत अब एक इतिहास बनने जा रही है। यह भी अब एक भारतीय धरोहर की दृष्टि से देखी जायेगी। यह भव्यता और शादगी का एक अनूठा प्रतीक है। इसी संसद भवन से आजादी का पहला कदम उठाया गया था। 21वीं सदी के नए भारत के लिए त्रिभुजाकार की एक नई संसद भवन की इमारत तैयार की जा चुकी है। "एक भारत श्रेष्ठ भारत" की भावना को संजोये भारत का यह नया संसद भवन आत्मनिर्भर भावना का एक शानदार नमूना है।
भारत की इस नई संसद के निर्माण ने आम जनमानस को मंत्रमुग्ध कर दिया है। यह नई संसद भवन स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। आज के इस लेख में हम आप सभी को संसद भवन की आंतरिक एवं बाहरी विशेषताओं से रूबरू कराते हैं। इस नए संसद भवन में प्रवेश करते ही संसद का सेंट्रल लॉज है यह संसद के बीचो बीच निर्मित किया गया है जिसमें संसद में काम करने वाले सांसद या अन्य लोग इस स्थान पर आकर आपस में चर्चा कर सकें। इस सेंट्रल लॉज को चारों तरफ से फूल व पौधों से सुशोभित किया गया है।
28 मई 2023 को देश को नई एक संसद मिलने जा रही है, जिस प्रकार लोग अपने नए घर की खुशी में उसके उद्घाटन का आयोजन करते हैं, ठीक उसी प्रकार दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की नई संसद के उद्घाटन की खुशी में जगह जगह जश्न मनाया जा रहा है। इस नई संसद को त्रिभुजाकार में निर्माण गया है। इसके प्रवेश द्वार पर लाल पत्थर पर 'सत्यमेव जयते' लिखा गया है। इसके थोड़ा ऊपर अशोक चक्र लगाया गया है। जिसे सम्राट अशोक के धर्म चक्र से लिया गया है। जिसमें 24 तीलियां होती हैं जो मनुष्य के 24 धर्म मार्ग के बारे में बताती हैं। नई संसद के निर्माण में आई लकड़ियां महाराष्ट्र से सागौन की मंगाई गई हैं, जिसे दुनिया में सबसे बेहतरीन लकड़ियों में से एक लकड़ी माना जाता है। इन लकड़ियों का इस्तेमाल अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण में भी किया जा रहा है।
इस नए संसद भवन के निर्माण में देश की सबसे बेहतरीन सामग्री जैसलमेर का 'लेखा ग्रेनाइट' का उपयोग किया गया है। यह ग्रेनाइट देश का सबसे महंगा ग्रेनाइट माना जाता है और यह ग्रेनाइट लाल और पीली रंग में पाया जाता है। आप लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह लाल ग्रेनाइट भारत के सिवा और किसी भी देश में नहीं पाया जाता है। भारत देश के लिए यह एक गौरव की बात है।
इस नए संसद भवन के निर्माण में जयपुर के पिंक सिटी के काले पत्थर का भी उपयोग किया गया है। कोटपूतली के काले पत्थर की मांग संपूर्ण विश्व में है। इस पत्थर की विशेषता यह है कि यह हमेशा नए पत्थर की भांति चमकदार बना रहता है अपनी इस विशेषता से यह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है।
इस नए संसद भवन के निर्माण में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद की कालीन का उपयोग भी किया गया है। जिसकी ख्याति संपूर्ण भारत देश में है। इस नए संसद के निर्माण में देश के कोने कोने से एक से एक नायाब सामग्री का उपयोग किया गया है। इस नई संसद के निर्माण में अगरतला से बांस की लकड़ी मंगाई गई थी, जिससे संसद का फर्श बना है।
नये संसद भवन का निर्माण क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। इस नए संसद भवन के निर्माण में 60 हजार श्रमिकों को प्रत्यक्ष रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ है। प्रबंधन से लेकर परियोजना से जुड़े मजदूरों तक 23 लाख से अधिक मानव दिवस का रोजगार सृजित हुआ। इस प्रकार यह भी कहा जा सकता है कि नए संसद भवन के निर्माण में रोजगार भी सृजित हुआ है और कई मजदूरों के जीवन यापन का साधन भी बना है।
नए संसद भवन के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों एवं निर्माण कार्य में लगे समय का विवरण निम्नलिखित है :-
- रोजगार सृजित : 23,04,095 (मानव दिवस में)
- प्रत्यक्ष रोजगार : 60,000 (श्रमिक)
- निर्माण क्षेत्रफल : 64,500 (वर्ग मीटर)
- स्टील का इस्तेमाल : 26,045 (एमटी में)
- सीमेंट का इस्तेमाल : 63,807 (एमटी में)
- फ्लाई ऐश का इस्तेमाल : 9,689 (घन मीटर में)
- निर्माण शुरू : 2020 (दिसंबर में)
- उद्घाटन : 28 मई, 2023
जब 28 मई 2023 को इस नई संसद का उद्घाटन किया गया तो 'नागस्वरम' बजाया गया, यह दक्षिण भारत का एक वाद्य यंत्र है जो शुभ अवसरों पर बजाया जाता है। भारत देश में नई संसद भवन का उद्घाटन भी किसी शुभ अवसर से कम नहीं है।
अतः संक्षेप में हम इस प्रकार कर सकते हैं कि इस नई संसद भवन के निर्माण में पूरे देश की नायाब वस्तु इस्तेमाल की गई है। इस प्रकार नया संसद एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावनाओं को दर्शाता है। संसद में लगा अशोक चक्र मध्य प्रदेश के इंदौर जनपद से लाया गया।
नई संसद भवन भव्यता की मिसाल है। यह भव्यता के रंगों का एक अनूठा संगम है। इस नई संसद में अलग-अलग राज्यों की विशेषताओं को देखने को मिलता है। जिसमें देश की संस्कृति के सभी रंग नजर आते हैं। यह नई संसद भूकंप रोधी बनाई गई है।
नई व पुरानी संसद की तुलना:-
- नई संसद में लोकसभा की सीटों की संख्या 888 बनाई गई तथा वही पुरानी संसद में 552 थी।
- नई संसद में राज्यसभा में सीटों की संख्या 384 व पुरानी संसद में 245 थी।
- नई संसद को बनने में 21 महीने 18 दिन लगे थे अर्थात 15 जनवरी 2021 को इसके निर्माण का कार्य शुरू हुआ था वहीं दूसरी ओर पुरानी सांसद को बनने में 6 वर्ष का समय लगा था।
- नई संसद भवन का आकार त्रिभुजाकार है वहीं दूसरी और पुरानी संसद भवन का आकार वृत्ताकार है।