एक बार की बात है, एक गांव में एक रवि नाम का लड़का जो अधिक महत्वाकांक्षी था, रहता था। वह अपने मार्ग में आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा को दूर करने में उत्साहित रहता था। वाह दृढ़ संकल्पी भी था। पिछड़े समाज में रहने के बावजूद भी उसने बड़े-बड़े सपने देखे एवं उन्हें पूरा करने में अपनी पूरी मेहनत एवं दृढ़ संकल्पता दिखाई और सभी को यह विश्वास दिलाया की समाज का पिछड़ापन व्यक्ति की ऊंचाइयों को नहीं रोक सकता है अगर किसी में कुछ करने का जज्बा हो तो वह कुछ भी कर सकता है। वह उन सबके लिए एक प्रेरणा का माध्यम बना जो पिछड़े समाज से नाता रखते थे।
जब एक दिन वह अपने गांव से गुजर रहा था तो उसे रास्ते में एक पेड़ के नीचे एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति मिला जिसके मुख पर एक अच्छी सी मुस्कान की चमक थी। जिसने रवि को उससे बात करने के लिए प्रेरित किया। अधेड़ व्यक्ति की मुस्कान को देख रवि खुद को रोक न सका और रवि की जिज्ञासा बढ़ती गई उसने उस अधेड़ व्यक्ति के साथ बातचीत करने का फैसला किया।
उस अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने अपना परिचय एक गुरु के रूप में दिया और रवि के साथ उसने अपनी उम्र के तमाम प्रकार के अनुभवों को साझा किया। उस व्यक्ति ने रवि को यह भी बताया कि विभिन्न परिस्थितियों में किन-किन चुनौतियों से वह आगे बढ़ा एवं किस प्रकार से अच्छी सूझबूझ के साथ उसने उन चुनौतियों का सामना किया और उन्होंने यह भी साझा किया कि कभी भी उन्होंने अपने मन में नकारात्मक विचार पनपने नहीं दिए आगे उन्होंने कहा कि उनका मानना था नकारात्मक विचार व्यक्ति को सफलता से दूर करते हैं इसलिए वह हमेशा सकारात्मक मानसिकता के साथ आगे बढ़ते गए।
इन सभी अनुभवों से रवि प्रेरित हो गया एवं उसने यह महसूस किया कि यदि व्यक्ति अपना मन बना ले तो वह किसी भी क्षेत्र में महानता हासिल कर सकता है फिर उसे दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं सकती है। उस दिन से, रवि ने कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी एवं अपनी पढ़ाई में पर्याप्त समय बिताने लगा और जीवन के सभी पहलुओं को पार करने के लिए अथक प्रयास करता गया।
इस प्रकार रवि धीरे-धीरे निरंतर अपना समय पढ़ाई में व्यतीत करने लगा और उसे एक अनुभव के रूप में यह एहसास हुआ कि अगर व्यक्ति निरंतर सतत प्रयास करता रहे तो वह व्यक्ति किसी भी सफल व्यक्ति से पीछे नहीं रहेगा। अतः वह अपने अनुभव से प्रेरित होने लगा एवं उसके अंदर आत्मविश्वास बढ़ने लगा।
जब रवि ने दसवीं क्लास में अपना प्रवेश लिया तो उसे एक आकस्मिक समस्या का सामना करना पड़ा। जो उसके परिवार से संबंधित थी। जैसा कि रवि की स्थिति अच्छी न होने के कारण उसके परिवार की वित्तीय व्यवस्था धीरे-धीरे खराब होती गई और वह अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित होने लगा। उसने हमेशा बड़े-बड़े सपने देखे थे जैसे डॉक्टर, कलेक्टर इत्यादि प्रकार के सपने। लेकिन उसके इस मार्ग में उसके परिवार की वित्तीय व्यवस्था बाधा डालने लगी परंतु फिर भी उसने अपनी पढ़ाई में कोई बाधा न आने दी और अपनी पढ़ाई पर निरंतर ध्यान रखा। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण रवि ने वित्तीय स्रोतों को तलाशना शुरू कर दिया। अंततः रवि को एक छात्रवृत्ति प्राप्त हुई जिसने उसकी पढ़ाई में काफी मदद की।
अब रवि 12वीं कक्षा को पास करके कॉलेज जाने के सपने देख रहा था। रवि की कॉलेज की रोजमर्रा की जिंदगी भी कोई स्कूल से आसान नहीं थे। कॉलेज में प्रवेश लेने के बाद उसे यह महसूस हुआ कि यहां प्रतियोगिता अपनी चरम सीमा पर था। कुछ भी बिना कठिन परिश्रम किए हासिल नहीं किया जा सकता है। कभी-कभी तो दिन रात मेहनत करने के बाद भी असफलता ही हाथ लगती है इस प्रकार की सभी बातें रवि को काफी हतोत्साहित करती थी परंतु रवि का खुद के मन पर नियंत्रण था वह विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को विचलित नहीं होने देता था। उसने कभी खुद को हतोत्साहित नहीं होने दिया। जब भी कभी वह इस प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में फंस जाता था तब वह गुरु जी के द्वारा बताए गए उनके अनुभवों को याद करता था तो उसमें एक अजीब सी उर्जा भर जाती थी जिससे और प्रेरित हो उठता था। रवि ने इन सभी चुनौतियों को किनारे कर दिया और अपनी पढ़ाई पर निरंतर ध्यान देने लगा एवं दिन रात कड़ी मेहनत करने लगा और जरूरत पड़ने पर अपने मित्रों एवं अध्यापकों से मार्गदर्शन लेने लगा।
एक दिन, जब रवि पास के एक स्थानीय अस्पताल में सेवा भाव से काम कर रहा था तो उसकी मुलाकात एक सीता नाम की लड़की से हुई जो एक जानलेवा बीमारी से पीड़ित थी। एक जानलेवा बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद भी सीता के अंदर सकारात्मक विचार पनप रहे थे। जिससे रवि ने यह अनुभव किया कि मात्र अपने अंदर सकारात्मक विचार रखने से ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में काफी मदद मिलती है। रवि सीता से काफी प्रभावित हुआ। अब उसका मानना था की परिस्थिति कोई भी व्यक्ति को नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए एवं दृढ़ संकल्प होकर परिस्थिति का सामना करना चाहिए। अब वह खुद के लिए एवं समाज के लिए कुछ करना चाहता था।
इस प्रकार, रवि अब अपना सारा समय डॉक्टर की पढ़ाई में व्यतीत करने लगा, उसने हर वह सफल प्रयास किया जिससे वह एक अच्छा डॉक्टर बन सकता था। उसने अभी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली थी और पास के एक चर्चित अस्पताल में काम करना शुरू कर दिया था जहां उसने सीता जैसे रोगियों की मदद करने में खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया। उसका स्वभाव सेवा भाव का था।
धीरे-धीरे समय बीतता गया, रवि की ख्याति दूर दूर तक फैलती गई। रवि ने सैकड़ों शरीरों में जान फूंक दी। वह इस प्रकार से इलाज करता था जैसे कोई मंत्र फूंक देता था। इस प्रकार एक कुशल और दयालु डॉक्टर के रूप में रवि काफी प्रसिद्ध हो गया, और निराश एवं घायल रोगियों के जीवन में एक नई चमक लाया। जिसे कहीं कोई उम्मीद ना होती थी वह रवि के पास आता था और अपना इलाज कर आता था।
इस प्रकार रवि एक छोटे से गांव में रहने वाला व्यक्ति एवं घर की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के बावजूद भी उसने यह साबित कर दिया कि व्यक्ति अगर दृढ़ संकल्प होकर कड़ी मेहनत करें तो उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कोई बाधा ना होगी। रवि का यह गांव से डॉक्टर बनने तक का सफर कई लोगों के लिए प्रेरणा बना। इससे यह साबित हो जाता है कि व्यक्ति की मेहनत ही सब कुछ है। उसने यह एहसास दिलाया कि दृढ़ संकल्प होकर एवं सकारात्मक मानसिकता के साथ सपनों को भी हकीकत में बदला जा सकता है।
रवि के गांव वालों ने रवि का अच्छे से सम्मान किया एवं अपने बच्चों को रवि के नाम से प्रेरित किया और उसके नक्शे कदम पर चलने की सलाह दी। रवि की इस सफलता के सफर में गुरु जी द्वारा दिए गए उनके अनुभवों का काफी अहम रोल था। जब भी कभी वह हतोत्साहित होता था तो गुरु जी की ही बातों को याद करता था और उसमें एक नई ऊर्जा की चमक भर जाती थी।
इस प्रकार रवि की सफलता की कहानी केवल व्यक्तिगत सफलता की एकमात्र कहानी ही नहीं अपितु चुनौतियों को स्वीकार करने, उद्देश्य को तलाशने एवं विपरीत परिस्थितियों में खुद पर किस प्रकार नियंत्रण रखा जाए से संबंधित है। रवि की इस कठिन यात्रा से हमें यह सीख मिलती है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता और कोई भी समस्या स्थिर नहीं होती। अगर व्यक्ति के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो वह कुछ भी कर सकता है। व्यक्ति को हमेशा स्थिति के अनुसार ही चलना चाहिए। व्यक्ति की सफलता में निरंतर प्रयास का एक अहम किरदार होता है। जो उसे हमेशा करते रहना चाहिए।