"द केरला स्टोरी" एक फिल्म है जो दर्शकों को भारत के सभी समृद्ध राज्यों में से एक समृद्ध राज्य केरल के सांस्कृतिक चित्रण के माध्यम से एक भावनात्मक यात्रा पर ले जाती है। यह फ़िल्म एक प्रतिभाशाली फिल्म निर्माता द्वारा निर्देशित एवं शानदार कलाकारों के शानदार किरदार द्वारा जीवंत की गई, जो केरल राज्य की अनूठी विरासत, परंपराओं और सामाजिक गतिशीलता के सार को एकत्रित करते हुए नजर आती है।
यह फिल्म तीन मुख्य किरदारों के जीवन का अनुसरण करती है प्रथम, मीरा, एक युवा और स्वतंत्र महिला जो अपनी पहचान स्वंय चाहती है; अपने अतीत से परेशान रहने वाले एक अद्भुत कलाकार रवि; और सुरेश, एक सरकारी अधिकारी हमेशा भ्रष्टाचार का विरोध करने वाला एक मेहनती और ईमानदार लड़का।
यह फ़िल्म लघु कथाओं की एक किताब सी है जो केरल के विभिन्न अलग-अलग समाज के पहलुओं को प्रदर्शित करते हुए, एक खूबसूरत कथा जो विभिन्न प्रकार के समाज को एक साथ जोड़ते हुए नजर आती है। यह फिल्म प्रेम, महत्वाकांक्षा, जाति अथवा वर्ग विभाजन, परंपरा आदि के बीच सतत विभिन्न प्रकार के संघर्ष पर प्रकाश डालती है। इस फ़िल्म में दिखाये गये सभी किरदार किन-किन विभिन्न परिस्थितियों का सामना करते हैं इस पर भी प्रकाश डालती है क्योंकि वे तेजी से बदलते समाज के साथ खुद को न बदल पाने के साथ व्यक्तिगत दुविधाओं में देखते हैं।
इस फिल्म की एक ताकत केरल की सांस्कृतिक समृद्धि के प्रामाणिक चित्रण में निहित है। इस फ़िल्म में जीवंत त्योहारों, लोक नृत्यों और शास्त्रीय संगीत आदि प्रकार की मनमोहक कलाओं को विस्तार से सावधानीपूर्वक चित्रित किया गया है। फिल्म निर्देशक इन सभी गुणों को कुशलता से प्रदर्शित करते है, जिससे यह गुण भी एक कहानी का अभिन्न अंग बन जाते हैं। ओणम समारोह के चमकीले रंगों से लेकर कथकली प्रदर्शनों की आत्मा को झकझोर देने वाली लय तक, यह फिल्म "The Kerala Story" दर्शकों को केरल के सांस्कृतिक प्रकृति में डुबो देती है। इस फिल्म के संवाद मार्मिक हैं और केरल की सांस्कृतिक बारीकियों को दर्शाते हैं। यह सभी सूक्ष्म बारीकियां इस फिल्म को एक कथा के रूप मे दर्शाने में सराहनीय है।
संस्कृतिक सम्रद्धि के अलावा, केरल स्टोरी राज्य में वर्तमान में प्रचलित सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को भी दर्शाती है। यह छोटे से छोटे सीमांत समुदायों जैसे मछुआरों और किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करती है, और सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर भी प्रकाश डालती है। इस फ़िल्म के निर्माण में वास्तविक एवं काल्पनिक दोंनो प्रकार की योग्यताओं का सहारा लिया गया है । यह फिल्म सुरेश के किरदार के माध्यम से भ्रष्टाचार एवं ईमानदारी के बारे में भी सवाल उठाती है, और इस फिल्म में यह भी प्रदर्शित किया गया है कि जो सही है उसके लिए व्यक्तियों को क्या प्रक्रिया करने की आवश्यकता होती है या भ्रष्टाचार और नौकरशाही के खिलाफ कौन से कदम उठाए जा सकते हैं।
द केरल स्टोरी में नायक एवं नायिकाओं द्वारा निभाए गए अपने किरदार वास्तविकता से परे हैं, उन्होंने अपने किरदार को निभाने में अपनी अपनी भूमिकाओं में जान फूंक दी है। इस फिल्म को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक फिल्म नहीं बल्कि वास्तव में केरल राज्य का भ्रमण कर रहे हैं। छोटे से छोटा चित्रण दर्शकों के मन को भा गया। इस फिल्म के मुख्य एवं सहायक सभी ने अपने किरदारों को इस प्रकार दर्शाया है कि कोई भी व्यक्ति फिल्म देखकर बिना प्रशंसा किए नहीं रह सकता, सभी कलाकार प्रशंसा के योग्य हैं।
संक्षेप में, इस फिल्म की कहानी अत्यंत ही मनमोहक है केरल की लुभावनी सुंदरता से लेकर प्रकृति का मनमोहक चित्रण, आसमान में बादलों की तरह हिल स्टेशन तक इस फिल्म में दर्शाया गया है इन सभी सुंदरताओं का एक अनोखा संगम एक कथा के रूप में इस फिल्म को फिल्म निर्माता प्रदर्शित करता है। फिल्म के कलाकारों के साथ-साथ फिल्म निर्माता भी प्रशंसनीय है।
अतः अंत में अगर कहे तो इस फिल्म का उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। इस फिल्म में फिल्म निर्माता ने मनोरंजन के साथ-साथ केरल राज्य की वास्तविकता को दिखाने का एक अथक प्रयास किया है। जिसमें विभिन्न कलाकारों द्वारा अपने अपने किरदार बखूबी अच्छे से निभाए गए हैं। इस फिल्म में वही दिखाने का प्रयास किया गया है जो वास्तविकता में समाज में प्रचलित है। यह फिल्म आश्चर्यजनक के दृश्यों के माध्यम से एक स्थाई छाप छोड़ती है और सभी के मन को गहराई से छूने का प्रयास करती है।