मेरी पहली यात्रा : एक नया अनुभव
यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि यह मेरी पहली यात्रा थी। इससे पहले मैंने कभी कोई यात्रा नहीं की हां वो अलग बात है कि कभी-कभी अपने शहर में इधर उधर घूमने चला जाता था लेकिन इतनी लंबी यात्रा पर मैं पहली बार निकला था। यह मेरे लिए एक नई दुनिया जैसा लग रहा था। यहां मेरे लिए एक साहस वाला कार्य था। इस यात्रा ने मेरे जीवन में एक नई खुशी की उमंग ला दी थी। मेरा मन प्रफुल्लित हो गया था। मैं घबराहट के साथ खुद को खुश होता हुआ महसूस कर रहा था। मैं खुद को ठीक उसी प्रकार महसूस कर रहा था जिस प्रकार किसी छोटे बच्चे को एक नया खिलौना मिल जाता है।
जब मैं पहली बार रेल गाड़ी पर बैठा तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं सच में रेलगाड़ी में हूं, मुझे यह एक स्वप्न जैसा प्रतीत हो रहा था। चारों तरफ से भिन्न भिन्न प्रकार की आवाजें आ रही थी। लोग गाड़ी पकड़ने के लिए दौड़ रहे थे, सामान बेच रहे विक्रेता और वाहनों के तेज हॉर्न ने अव्यवस्था को और बढ़ा दिया था। इन सभी भागदौड़ के बीच, मैंने अपने टिकट को अपने हाथ में कसकर पकड़ा और अपने प्लेटफॉर्म की तलाश की। इस प्रकार के दृश्य को आज तक मैंने बस लोगों से सुना था लेकिन यह आज हकीकत है।
जैसे ही मैंने प्लेटफॉर्म पर अपना पहला कदम रखा, मेरे चेहरे पर विस्मय वाला भाव सा छा गया। मेरे सामने एक लंबी रेलगाड़ी खड़ी थी, जिसे देख के मैं दंग था। यही मेरी गाड़ी थी। मैंने अपनी बोगी को ढूंढ़ा और उत्साह के साथ अपने स्थान पर बैठ गया। मेरी जगह खिड़की के पास वाली थी। मैं बाहर की सुंदरता को देख रहा था। हरे-भरे खेतों, बिखरे हुए घर और हलचल भरे कस्बों से गुजरती हुई मेरी गाड़ी चली गयी। ये सारा नज़ारा मेरी आँखों में हमेशा के लिए बस गया था।
रेलगाड़ी के अंदर का माहौल गहमागहमी वाला था। रेलगाड़ी की बोगियां हवा, बातचीत, हँसी और विक्रेताओं की आवाजों से ठसाठस भरी हुई थी। कभी कोई चाय के लिए आवाज लगा रहा था तो कभी कोई खाने के लिए। इन सभी दृश्यों को देखकर मेरा सफर और भी यादगार बन रहा था। किसी समय यह सब मेरे लिए बस एक कल्पना मात्र थी
गाड़ी अपनी गति धीरे धीरे बढ़ा रही थी, मेरे मन मे गाड़ी की बोगियों को देखने की इच्छा ज़ाहिर हुई। मैं अपनी जगह से उठा और बोगी में चल पड़ा, मैंने बोगी में विभिन्न प्रकार के दृश्य देखे। मैं बोगी के आखिर तक गया। मैंने देखा कि सब लोग व्यस्त थे। कोई बातचीत करने में तो कोई गहन सोच मुद्रा में बैठा हुआ था। प्रत्येक डिब्बे का अपना अनूठा चरित्र और माहौल था।
गाड़ी अपनी गति से आगे की ओर बढ़ रही थी, सूरज ऊपर चढ़ रहा था। शाम का समय था। मौसम सुहाना लग रहा था। मेरा स्थान खिड़की के पास वाली थी इसलिए मैं इसे अच्छे से महसूस कर पा रहा था। शाम के समय खिड़की से पेड़ पौधे फूल सभी का मनोरम दृश्य देखकर मैं बहुत आश्चर्य सा महसूस कर रहा था। सितारों की तरह सड़को पर प्रकाश हो रहा था। मुझे तो ये सारे दृश्य एक स्वप्न जैसे प्रतीत हो रहे थे। मवेशी, फूल, खेलते हुए बच्चे इन सब का दृश्य अप्रतिम था। गाड़ी को निकलते हुये देख सड़क के किनारे रहने वाले बच्चे बहुत खुश हो जाते थे और खुशी में शोर मचाते थे। ऐसा नजारा आज मैंने पहली देखा, अभी तक सिर्फ सुना और फिल्मों में देखने को मिला था। यह दृश्य अत्यधिक लुभावना और अविस्मरणीय वाला था। चाय व अन्य विक्रेता बोगी में प्रवेश कर चुके थे। अपना अपना सामान लिये बेचने के लिये चिल्ला रहे थे। कोई चाय बेच रहा तो कोई चना, कोई मूंगफली ले रहा तो कोई समोसे, कोई खा रहा है तो कोई देख रहा है।
अब समय रात का था। भोजन का समय था। जो कोई भी अपना भोजन लाया था, अपनी जगह ओर खाना आरम्भ कर दिया और जो नहीं लाया था उसने स्टेशन से खरीद कर ले लिया। मैं भी भोजन कर रहा था। मेरे सामने वाली सीट पर एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति अपने परिवार के साथ कहीं बाहर जा रहे थे। वो 5-6 लोग थे। अब मेरी मंजिल निकट ही थी। मेरी यात्रा लगभग समाप्त होने वाली ही थी। मेरे चेहरे पर पहली यात्रा की ख़ुशी थी परन्तु यात्रा पूरी हो चुकी थी इस बात से मैं निरास था। मेरी यह अविस्मरणीय यात्रा समाप्त हो गयी थी। मेरी मंजिल आ गयी थी। मैंने अपना सामान एकत्रित किया, इस अविस्मरणीय यात्रा के लिए पुरानी यादों और कृतज्ञता का अनुभव किया जो मैंने अनुभव किया था।
गाड़ी से जब मैं उतरा तो मैंने महसूस किया कि मैं उसी दुनिया में था जिससे आया था। कुछ पल के लिए मुझे लगने लगा था कि मैं किसी और ही दुनिया में हूँ। इस पहली यात्रा ने मुझ पर एक यादगार छाप छोड़ दी है। मेरे लिये यह सिर्फ एक यात्रा ही नहीं बल्कि खुद में बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इससे मुझे कई नये अनुभव प्राप्त हुये और वर्तमान क्षण को संजोने और सबसे सरल चीजों में सुंदरता खोजने का महत्व सिखाया।
रेलगाड़ी से मेरी पहली यात्रा एक परिवर्तनकारी अनुभव थी, जिसने दुनिया की विशालता और मानवीय संबंधों की समृद्धि के लिए मेरी आंखें खोल दीं। इसने मुझमें आश्चर्य और जिज्ञासा की भावना पैदा की, क्षितिज से परे छिपे रहस्यों का पता लगाने और उन्हें उजागर करने की इच्छा को प्रज्वलित किया।