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प्रारंभिक जीवन:-

अकबर, जो अकबर महान के नाम से भी विख्यात है, भारतीय इतिहास में एक प्रमुख व्यक्ति था जिसने 1556 से 1605 तक तीसरे मुगल सम्राट के रूप में शासन किया। अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 को राजपूत किला उमरकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। 

अकबर का पूरा नाम:- अबुल-फतह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर

पिता का नाम :- नसीरुद्दीन हुमायूँ

माता का नाम :- नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा

पत्नियां :- रुकैया बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा, मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा, जोधाबाई राजपूत

उत्तराधिकारी :- जहाँगीर

राज्यभिषेक :- 14 फ़रवरी 1556 ई०

निधन :- 27 अक्टूबर 1605 ई०, फतेहपुर सीकरी


अकबर के वंशज अर्थात पिता के वंशज तैमूर लंग और माता के वंशज चंगेज़ खान से संबंध रखते थे। जिसका प्रभाव अकबर पर बाल्यकाल से ही देखने को मिलता है। अकबर ने अपनी युवावस्था तक तीर चलाना व शिकार करना सीख लिया था। 1539 ई० में चौसा और 1540 ई० में कन्नौज के युद्ध में कन्नौज शासक शेरशाह सूरी से पराजित पिता (हुमायूँ) भारत से भाग गया तथा सिंध में उनकी मुलाकात शेख़ अली तथा 14 वर्ष की हमीदा बानू बेग़म से हुई जो शैख़ अली की बेटी थी, पिता हुमायूँ ने उससे अकबर का निकाह करा दिया और अगले वर्ष ही 15 अक्टूबर 1542 ई० को सिंध के उमरकोट में अकबर का राज्याभिषेक हुआ। बैरम खां के मार्गदर्शन में अकबर ने अपना शासन कार्य चलाना आरम्भ किया। हुमायूँ की मृत्यु के बाद जब अकबर सिंघासन पर बैठा तब वह 14 वर्ष की आयु का था। 


सूरी वंश के इस्लाम शाह के उत्तराधिकार के विवादों से उत्पन्न अराजकता का लाभ उठा कर हुमायूँ ने 1555 ई० में दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। इसके कुछ माह पश्चात ही 48 वर्ष की आयु में ही हुमायूँ का आकस्मिक निधन हो गया। तब अकबर के संरक्षक बैरम खां ने साम्राज्य की बागडोर अपने हाथ मे ली तथा अकबर का मार्गदर्शन किया। अपनी युवावस्था के बावजूद, अकबर ने खुद को एक दूरदर्शी नेता, एक चतुर राजनेता और कला और संस्कृति का संरक्षक साबित किया। उनके शासनकाल ने मुगल साम्राज्य में एक स्वर्ण युग को चिह्नित किया और भारत के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा। इन्हीं सब कारणों से वह महान कहलाया।



राज्य विस्तार एवं प्रशासनिक कार्य:-

अकबर के शासन के अंत तक 1605 ई० में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की।  उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया भी समाप्त कर दिया जिसके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुत से हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। सम्राट ने "दहसाला" के रूप में जानी जाने वाली एक भूमि राजस्व प्रणाली की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य समान कराधान प्रदान करना और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देना था।


अकबर की सैन्य विजयों ने मुगल साम्राज्य को उसकी सबसे बड़ी क्षेत्रीय सीमा तक विस्तारित किया। अकबर के सैन्य अभियानों ने गुजरात, बंगाल और दक्कन के कुछ हिस्सों को मुगल नियंत्रण में ला दिया। अकबर अपनी सुलह की नीति के लिए जाना जाता था। उसे साहित्य में काफी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था।



अकबर के प्रमुख युद्ध व लड़ाइयाँ:-

  • 1556ई० - पानीपत का दूसरा युद्ध, अकबर बनाम हेमू, अकबर की विजय हुई।
  • 1561ई० - चुनार का युद्ध, अकबर बनाम बजबहादुर अकबर की विजय।
  • 1564ई०- गोंडवाना का युद्ध, अकबर बनाम वीरनारायण, अकबर की विजय।
  • 1567ई०- मेवाड़ के युद्ध, अकबर बनाम उदय सिंह, अकबर की विजय।
  • 1576ई०- हल्दीघाटी का युद्ध, अकबर बनाम महाराणा प्रताप, अकबर की विजय।
  • 1569ई०- रणथंभौर का युद्ध, अकबर बनाम सुरजनराय, अकबर की विजय।
  • 1569ई०-कालिंजर का युद्ध, अकबर बनाम रामचंद्र, अकबर की विजय।
  • 1570ई०- मारवाड़ का युद्ध, अकबर बनाम चंद्रसेन, अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
  • 1570ई०- जैसलमेर का युद्ध, अकबर बनाम हरारे, अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
  • 1570ई०- बीकानेर का युद्ध, अकबर बनाम रे कल्याणमल, अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली
  • 1572ई०- गुजरात का युद्ध, अकबर बनाम मुजफ्फर खान, अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
  • 1573ई०- सूरत का युद्ध, अकबर बनाम मुहम्मद हुसैन मिर्जा, अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।1573ई०- पाटन की लड़ाई, अकबर बनाम मुहम्मद हुसैन मिर्जा, अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
  • 1581ई०- काबुल का युद्ध, अकबर बनाम मिर्जा हकीम, अकबर की विजय।
  • 1586ई०- कश्मीर का युद्ध, अकबर बनाम यूसुफ खान, अकबर की विजय हुई।
  • 1591ई०- सिंध की लड़ाई, अकबर बनाम ज़मीबेग, अकबर की विजय।
  • 1591ई०- ओडिशा की लड़ाई, अकबर बनाम निसार खान, अकबर की विजय।
  • 1591ई०-  खानदेश का युद्ध, अकबर बनाम अली खान,  अकबर की विजय।
  • 1595ई०- ब्लूचिस्तान की लड़ाई, अकबर बनाम अफगान पन्नी, अकबर की विजय।
  • 1595ई०- कंधार की लड़ाई, अकबर बनाम मुजफ्फर हुसैन शाहबेग, अकबर की विजय।
  • 1597ई०- अहमदनगर का युद्ध, अकबर बनाम चांद बीबी, अकबर की विजय।
  • 1601ई०- असीरगढ़ का युद्ध, अकबर बनाम मीर बहादुर, अकबर की विजय।



अकबर ने इन राज्यों में एक एक राज्यपाल नियुक्त किया। अकबर यह नहीं चाहता था कि मुग़ल साम्राज्य का केन्द्र दिल्ली जैसे दूरस्थ शहर में हो, इसलिए उसने यह निर्णय लिया की मुग़ल राजधानी को फतेहपुर सीकरी ले जाया जाए जो साम्राज्य के मध्य में थी। कुछ ही समय के बाद अकबर को राजधानी फतेहपुर सीकरी से हटानी पड़ी। कहा जाता है कि पानी की कमी इसका प्रमुख कारण था। अपनी मृत्यु के पूर्व अकबर ने सन 1599ई० में वापस आगरा को राजधानी बनाया और अन्त तक यहीं से शासन संभाला।



दीन ए इलाही:-

दीन-ए-इलाही नाम से अकबर ने 1582ई० में एक नया धर्म बनाया जिसमें सभी धर्मो के मूल तत्वों को डाला, इसमे प्रमुखतः हिंदू एवं इस्लाम धर्म ही नहीं बल्कि पारसी, जैन एवं ईसाई धर्म के मूल विचारों को भी सम्मिलित किया। कहा जाता हैं कि अकबर के अलावा केवल राजा बीरबल ही मृत्यु तक इस के अनुयायी थे। दबेस्तान-ए-मजहब के अनुसार अकबर के पश्चात केवल 19 लोगो ने इस धर्म को अपनाया था। उसने तत्कालीन सिक्कों के पीछे ‘‘अल्लाह-ओ-अकबर’’ लिखवाया।

कई इतिहासकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि यह सही मायनो में धर्म न होकर एक आचार संहिता के समान था। इसमे भोग, घमंड, निंदा करना या दोष लगाना वर्जित थे एवं इन्हे पाप कहा गया। दया, विचारशीलता और संयम इसके आधार स्तम्भ थे। सम्राट अकबर की मृत्यु के साथ ही इस धर्म का भी अंत हो गया।


अकबर के नवरत्न:-

1. बीरबल- (1528ई०-1583ई०) दरबार के विदूषक और बादशाह के सलाहकार।

2. फैजि-  (1547ई०-1596ई०) फारसी कवि थे।

3. अबुल फज़ल-  (1551ई०-1602ई०) अकबरनामा, और आईन-ए-अकबरी के रचनाकार।

4. तानसेन-  तानसेन उत्तम गायक थे।

5. अब्दुल रहीम खान-ए-खान- एक उत्तम कवि और अकबर के पूर्व काल के संरक्षक बैरम खान के बेटे थे।

6. फकीर अजिओं-दिन-  अकबर के सलाहकार थे।

7. टोडरमल-  अकबर के वित्तमंत्री थे।

8. मानसिंह- आमेर / जयपुर राज्य के राजा और अकबर की सेना के सेनापती भी थे।

9. मुल्लाह दो प्याजा- अकबर के सलहकार थे।


अंततः, अकबर महान भारतीय इतिहास में सबसे उल्लेखनीय शासकों में से एक के रूप में अंकित है। उनके शासनकाल ने अद्वितीय सांस्कृतिक और बौद्धिक समृद्धि, धार्मिक सहिष्णुता और प्रशासनिक सुधारों की अवधि को चिह्नित किया। समावेशिता को बढ़ावा देने और विविधता को अपनाने से, अकबर ने एक ऐसा वातावरण बनाया जिसने मुगल साम्राज्य के विकास को बढ़ावा दिया और भारतीय उपमहाद्वीप पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा।

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