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पिता ने हिम्मत दी माता ने प्यार दिया,
इन दोनों ने मिलकर हमे चलना सिखा दिया।
खुद खाली पेट होकर हमे खाना खिला दिया,
उन हालातों ने आज हमें जाना सिखला दिया
मां ने ममता दी पिता ने ताकत दिया,
उन दोनों के सहयोग ने हमें आज कहां तक पहुंचा दिया
उन हालातों ने हमें जीना सिखा दिया।
छोटी से बड़ी गलती तक उन्होंने हमें माफ किया,
आज हमने यहां पहुँचकर भी उनके लिए क्या किया।
जब आती थी शीत त्रतु तब उन्होंने हमें कम्बल उढा दिया,
खुद एक साड़ी में ठिठुरते हुए पूरी रात बिता दिया।
हमारे लिए वो लोहा मोल लेते थे दुनिया से,
कभी वो झड़ भर के लिए भी न जाते थे दूर हमसे।
हर रोज वो नये पकवान बनाती थी हमारे लिए,
आज उन्हें ठुकरा दिया हमने धन दौलत के लिए।
जब खुश होते थे हम हमसे जादा खुशी होती थी उन्हें,
आज उन्हीं माता पिता से कोई मतलब नहीं रह गया है तुम्हें।
कभी नहीं छोड़ते थे हमे जहाँ हो विरान,
आज उन्हीं को हमने छोड़ दिया जहाँ है सुनसान।
जिनको प्यार था हमसे अपनी जान से भी जादा,
क्या पता था उनको उस समय कि
बड़े होने पर बदल जाएगा हमारा इरादा।
आज उसी के साथ किया हमने व्यवहार ऐसा,
जैसे वो हो आज बेकार सामान जैसा।
हमारा एक ऑसू निकलने पर
दस ऑसू निकलते थे उनकी ऑखों से
जरा सा भी हमे दर्द होने से
जान निकल जाती थी उनकी साँसो से।
हर रोज खुद खुश न होकर भी
सब खुशियाँ देते थे हमे
क्या आज वो दिन याद है तुम्हें।
ये बारिश भी अजीब है बचपन की याद दिला देती
जब मां खुद भीगकर हमे बचा लेती।
कितनी भी बड़ी गलती करें हम वो उसको भुला देती है,
हमें चुप कराकर खुद को रुला लेती है।
जिसने भी माता पिता का ह्रदय ठुकराया है
वो आज तक कुछ कर नहीं पाया है।
अगर कूद जाये हम समंदर में
और आर्शीवाद हो आप दोनों का,
तो समंदर भी तैरने के लिए छोटा पड़ जाता है
और अब भी कमी महसूस होती है आप दोनों की
जब कोई अकड़कर सामने आ जाता है।
ठंडी का कम्बल बारिस का छाता और गर्मी की छाया हो तुम
और कोई नही सिर्फ ममता की माया हो तुम
तुम नही होती हो तो ये सब संसार वीरान नज़र आता है
जो लाख मुश्किलों में भी सँभल जाए वही मां हो तुम
पूरा ब्रह्माण्ड छान मारा पर तेरे जैसा कोई यार नहीं,
तेरे पास इतनी है ममता जिसका कोई सार नही।
जब ख़ैरियत में हो तो परिंदे भी खबर लेने आते हैं
वैसे तो खुदा भी बेखबर हो जाता है।।