दूर होकर भी तुम पास हो,
मेरे लिए सिर्फ तुम खास हो,
भूलना तो चाहा बहुत पर मैं भुला न सका तुम्हें,
शायद तुम मेरी मुहब्बत से वाकिब हो पाती
तो तुमसे कुछ आस हो जाती,
तूने नजरों में न देखा मेरी कभी,
एक बार तो झाँककर देख कि इस कुएँ में पानी कितना है
अपने लब्जों को बयां करने का एक मौका तो देती तो मैं बता पाता कि तेरे लिए इस दिल में प्यार कितना है।
लैला मजनू, हीर रांझा ये सब पुराना है,
एक नयी प्यार की लीक बनाएंगे अगर तुम साथ दो।
बेवफाई का क्या दर्द होता है तुझे क्या मालूम ऐ सितम,
एक बार दिल लगाकर तो देख, क्या तूने सिर्फ बेवफाई ही सीखी है,
प्यार भी मिलेगा एक बार दिल लगाकर तो देख।
जब से दिल लगाया है तुमसे,
खफा हो गया हूं खुद से,
खुद को सस्ते में बेच दिया सिर्फ पाने के लिए तुम्हें,
फिर भी न समझी तुम इस प्यार का मोल,
खुद को लुटा दिया सिर्फ पाने के लिए तुम्हें,
एक बार तो यूं मुड़कर तुमने देखा होता,
तो शायद तुम्हें प्यार का अहसास हो जाता,
पर फिर भी तू न समझी इस दिल का दर्द,
तुमसे ये उम्मीद न थी कि तुम करोगी मेरे साथ कभी ऐसा,
तो मैं खुद को न बदलता रहता पहले जैसा,
एक बार यूं दिल लगाकर तो देख महबूबा,
तो तुझे अहसास होगा कि मैं तेरे ईश्क में हूं कितना डूबा
सूखी पड़ी उस जमीं से पूंछ कि पानी की क्या जरूरत है
या अल्लाह कुछ ही पानी देदे इस सूखी जमीं को
इससे जमीं तो न भीगेगी पर वो सूखा न होगा,
कुछ राहत तो मिलेगी पर पर इन्तजार अभी खत्म न होगा,
इन्तजार रहेगा उस सूखी जमीं को तुम्हारा
जब तक उस मेघ में पानी होगा,
अगर तुम न मिली यहां तो खुदा के यहां
तेरा इन्तजार होगा,
तुम पास न होगी
फिर भी अकेला खुद को न होने दूंगा,
तुम्हारे साथ गुजारे
उन चंद लम्हों को दूर न जाने दूंगा,
तुम पास न होगी
फिर भी अकेला खुद को न होने दूंगा,
एक बार मुहब्बत तो कर के देख
फिर तुझे दिललगी का अहसास होगा,
ताज तो न दे पाऊंगा तुझे
पर इस प्यार के कबीले को नई राह दे जाऊंगा,
एक बार दिल लगाकर तो देख
तुझे कभी दूर न जाने दूगां,
आग पर चलेगी तू
फिर भी तुझे आंच न आने दूंगा,
तुम पास न होगी
फिर भी अकेला खुद को न होने दूंगा,
एक बार दिल लगाकर तो देख
हुस्न-ए-महबूबा
तुझे कभी दूर न जानें दूंगा,
एक बार दिल लगाकर तो देख
हुस्न-ए-महबूबा
तुझे कभी दूर न जानें दूंगा।